बुझ रहे हैं अब आस्मां के सारे तारे
चांद जीता है अकेला जिनके सहारे
मैं तो प्यासा हूं आखिर में वहीं जाऊंगा
जहां खो जाते हैं पानी के सारे किनारे
कोई बतला दे कि मेरा गम जो खंजर है
क्यों लगते हैं मेरे दिल को इतने प्यारे
हर किसी आंख में बस मैं इतना खोजूं
कहीं दिख जा रे ओ दर्द के आंसू खारे
चांद जीता है अकेला जिनके सहारे
मैं तो प्यासा हूं आखिर में वहीं जाऊंगा
जहां खो जाते हैं पानी के सारे किनारे
कोई बतला दे कि मेरा गम जो खंजर है
क्यों लगते हैं मेरे दिल को इतने प्यारे
हर किसी आंख में बस मैं इतना खोजूं
कहीं दिख जा रे ओ दर्द के आंसू खारे
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