समाज को
बुरा हमने
बनाया
दोस्तों
आईना
दूसरों को ही
दिखाया
दोस्तों
जाना था
मंजिल-ए-राह
में मुद्दतों
से
खुद
बैठे सबको
साथ बिठाया
दोस्तों
अपने ही जिले से
होकर जिला-बदर
हमने
बहुत है नाम कमाया
दोस्तों
कल की
खबर नहीं किसी
को यहाँ
शतरंजी
चालें क्यों
है जमाया
दोस्तों
हममें
तो न दिल है न
ही जान
अपनी
लाश तो कबसे
जलाया
दोस्तों
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