तुझसे करना प्यार बन गई मेरी अब मजबूरी है।
तू चाहे तो मुझसे करले मीलों जितनी दूरी है।
तू मेरे ख़ाबों में है और ख्यालों में भी हरदम ,
तुझे सोचना बिलकुल ऐसे जैसे सांस जरूरी है।
तू चाहे तो मुझसे करले मीलों जितनी दूरी है।
तू मेरे ख़ाबों में है और ख्यालों में भी हरदम ,
तुझे सोचना बिलकुल ऐसे जैसे सांस जरूरी है।
तेरी यादें तन्हाई में मेरा साथ निभाती हैं ,
तेरे बिना जिंदगी मेरी वरना रही अधूरी है।
मेरा दीवानापन है या महज सनक पागलपन की ,
तुझसे रिश्ता कायम रखना कैसे कहूँ फितूरी है।
वैसे तो ये दुनिया सारी रही प्यार की दुश्मन है ,
दीवानों ने भी कब चाही दुनिया से मंजूरी है।
जिनके लिए इबादत रब की हरदम रही मुहब्बत है ,
उनकी तो चाहत ना कोई मन्नत हर इक पूरी है।
एक नजर क्या सूरत देखी सीधे दिल में उतर गई ,
वीराना भी लगता मानों देहरादून मसूरी है।
तेरे बिना जिंदगी मेरी वरना रही अधूरी है।
मेरा दीवानापन है या महज सनक पागलपन की ,
तुझसे रिश्ता कायम रखना कैसे कहूँ फितूरी है।
वैसे तो ये दुनिया सारी रही प्यार की दुश्मन है ,
दीवानों ने भी कब चाही दुनिया से मंजूरी है।
जिनके लिए इबादत रब की हरदम रही मुहब्बत है ,
उनकी तो चाहत ना कोई मन्नत हर इक पूरी है।
एक नजर क्या सूरत देखी सीधे दिल में उतर गई ,
वीराना भी लगता मानों देहरादून मसूरी है।
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