तुम्हारे इश्क में दीवानगी की हद अगर होती।
नहीं फिर जिंदगी बर्बाद मेरी इस कदर होती।
बदलता करवटें ना रात भर मैं याद में तेरी ,
उदासी से भरी तो ना हुई हर इक सहर होती।
नहीं फिर जिंदगी बर्बाद मेरी इस कदर होती।
बदलता करवटें ना रात भर मैं याद में तेरी ,
उदासी से भरी तो ना हुई हर इक सहर होती।
जिगर में आग सी मेरे सुलगती ना मुसलसल ही ,
इधर हालत जो मेरी है तुम्हारी भी उधर होती।
न जाने कौन सी थी वो घड़ी जो प्यार कर बैठा ,
नहीं तो आज यूं मेरी हुई ना चश्मतर होती।
सफर के बीच में ना हाथ तुम मेरा छुड़ा लेते ,
कभी तकदीर ना बेशक भटकती दर बदर होती।
मुहब्बत में हुआ होता नहीं रुसवा जमाने में ,
कभी बदली तुम्हारी ना यकायक जो नजर होती।
तुम्हारी बेवफाई को कभी का मैं भुला देता ,
अगर मेरी मुहब्बत जिंदगी सी मुख़्तसर होती।
इधर हालत जो मेरी है तुम्हारी भी उधर होती।
न जाने कौन सी थी वो घड़ी जो प्यार कर बैठा ,
नहीं तो आज यूं मेरी हुई ना चश्मतर होती।
सफर के बीच में ना हाथ तुम मेरा छुड़ा लेते ,
कभी तकदीर ना बेशक भटकती दर बदर होती।
मुहब्बत में हुआ होता नहीं रुसवा जमाने में ,
कभी बदली तुम्हारी ना यकायक जो नजर होती।
तुम्हारी बेवफाई को कभी का मैं भुला देता ,
अगर मेरी मुहब्बत जिंदगी सी मुख़्तसर होती।
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