रात भीगी चांदनी में जल गई
खाक में तस्वीर तेरी मिल गई
याद का साया कहीं मिलता नहीं
बेखुदी में मेरी शम्मा बुझ गई
सुरमई आंखों से है खूं बह रहा
आज मैं कितने गजल लिख गई
आग के दामन में तेरा नाम है
जलते दिल की खामोशी ये कह गई
खाक में तस्वीर तेरी मिल गई
याद का साया कहीं मिलता नहीं
बेखुदी में मेरी शम्मा बुझ गई
सुरमई आंखों से है खूं बह रहा
आज मैं कितने गजल लिख गई
आग के दामन में तेरा नाम है
जलते दिल की खामोशी ये कह गई
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