आईना हमने कई बार तुझे रोते देखा
कोई दुखड़ा खुद ही से कहते देखा
जो गले से तू लगाए तो सौ बार लगूं
पर तेरे वजूद को टुकड़ों में बंटते देखा
क्या समझ पाएंगे जिसने दर्द न झेला हो
ऐ जमाना तुझे दीवानों पे हंसते देखा
देखना कुछ भी न बाकी रहा दुनिया में
जिंदगी को जीते-जी सूली पे चढ़ते देखा
No comments:
Post a Comment