Thursday, 24 March 2016

आईना हमने कई बार तुझे रोते देखा

आईना हमने कई बार तुझे रोते देखा
कोई दुखड़ा खुद ही से कहते देखा

जो गले से तू लगाए तो सौ बार लगूं
पर तेरे वजूद को टुकड़ों में बंटते देखा

क्या समझ पाएंगे जिसने दर्द न झेला हो
ऐ जमाना तुझे दीवानों पे हंसते देखा

देखना कुछ भी न बाकी रहा दुनिया में
जिंदगी को जीते-जी सूली पे चढ़ते देखा

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