हम ग़ज़ल लिख रहे हैं तुम्हारे लिए।
इक खुला आसमां चाँद तारे लिए।
आँख जब डबडबाये उदासी भरी ,
दीद को खूबसूरत नज़ारे लिए।
इक खुला आसमां चाँद तारे लिए।
आँख जब डबडबाये उदासी भरी ,
दीद को खूबसूरत नज़ारे लिए।
जो सहारा न तिनका बने गर कभी ,
एक कश्ती भंवर में किनारे लिए।
बस तुम्हारी खुशी में खुशी मानकर ,
तोहफे साथ में ढेर सारे लिए।
खेलती ही रहे ये तबस्सुम सदा ,
हाथ अपने दुआ में पसारे लिए।
गर बुरा न लगे तो यही सोचना ,
हम तुम्हारे लिए तुम हमारे लिए।
एक कश्ती भंवर में किनारे लिए।
बस तुम्हारी खुशी में खुशी मानकर ,
तोहफे साथ में ढेर सारे लिए।
खेलती ही रहे ये तबस्सुम सदा ,
हाथ अपने दुआ में पसारे लिए।
गर बुरा न लगे तो यही सोचना ,
हम तुम्हारे लिए तुम हमारे लिए।
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