नाच
गानों में डूब
गई उम्मीदें
हैं
नाउम्मीदी
में भी बड़ी
उम्मीदें हैं
ज़लज़लों
को आने दो इस
बार
कच्चे
महल ढहेंगे
ऐसी उम्मीदें
हैं
जो
निकला है
व्यवस्था
सुधारने
उस पागल
से खासी
उम्मीदें हैं
देख तो
लिया दशकों का
सफ़र
अब पास
बची सिर्फ
उम्मीदें हैं
तू भी
क्यों उनके
साथ है
बैठे बैठे लगाए
ऊंची
उम्मीदें हैं
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