शेर-ओ-ग़ज़ल
Sunday, 27 March 2016
राजनीति अब शिखंडी हो गई
राजनीति अब शिखंडी हो गई
सियासती सोच घमंडी हो गई
सोचा था कि
बदलेंगे
हालात
ये क़ौम और पाखंडी हो गई
भरोसा और नाज हो किस
पे
व्यवहार सब द्विखंडी हो गई
अब
पुरूषार्थ
का क्या हो
राजशाही सारी शिखंडी हो गई
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