शेर-ओ-ग़ज़ल
Thursday, 24 March 2016
जिनकी भी आंखों में देखी वफा
जब दिल में हो सच्चे जज़्बात
होता है इश्क तब अपने-आप
तन्हा ही राहों पे चलते रहे हम
कोई थामेगा कब मेरे हाथ
जिनकी भी आंखों में देखी वफा
वहीं पे आंसू भी थे उनके साथ
हमने जमाने में अक्सर ये पाया
बनने से ज्यादा बिगड़ती है बात
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