वक्त क्या बदला सभी हालात भी।
मौसमों के साथ ही दिन रात भी।
कल जिसे समझा सही निकला गलत ,
लोग बदले हैं वहीँ जज्बात भी।
मौसमों के साथ ही दिन रात भी।
कल जिसे समझा सही निकला गलत ,
लोग बदले हैं वहीँ जज्बात भी।
आईने में दिख रहा जो अजनबी ,
पैरहन बदला नयी औकात भी।
प्यार पर जिसके यकीं हरदम किया ,
आज वो करता नहीं है बात भी।
क्या पता था चाल है शतरंज की ,
जिंदगी में शह नहीं मात भी।
प्यार को समझा न कोई आज तक ,
ये सजा भी है और सौगात भी।
किस कदर हर पल बदलता आदमी ,
जो कभी सूखा कभी बरसात भी।
पैरहन बदला नयी औकात भी।
प्यार पर जिसके यकीं हरदम किया ,
आज वो करता नहीं है बात भी।
क्या पता था चाल है शतरंज की ,
जिंदगी में शह नहीं मात भी।
प्यार को समझा न कोई आज तक ,
ये सजा भी है और सौगात भी।
किस कदर हर पल बदलता आदमी ,
जो कभी सूखा कभी बरसात भी।
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