Thursday, 17 March 2016

दर्द जब मुस्कुराता है.....


दर्द जब मुस्कुराता है...
इक नशा सा छा जाता है।।
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जख़्म सहने का नशा !
अश्क बहने का नशा !!
बेखुदी मे जीने का नशा !
ख़्वाबो को पीने का नशा !!
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दर्द जब मुस्कुराता है...
इक नशा सा छा जाता है।
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तन्हा फिरने का नशा !
सोच से गिरने का नशा !!
आगोश मे घिरने का नशा !
बेहोशी मे तिरने का नशा !!
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दर्द जब मुस्कुराता है.....
इक नशा सा छा जाता है।
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आग से खेलने का नशा !
तूफां को झेलने का नशा !!
बेख़ौफ़ पगलाने का नशा !
नजाकत मे झुंझलाने का नशा!!
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दर्द जब मुस्कुराता है...
इक नशा सा छा जाता है।
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खामोश हँसी का नशा !
खुदगर्ज ख़ुशी का नशा !!
मद्होश जिंदगी का नशा !
सरफ़रोश बंदगी का नशा !!
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दर्द जब मुस्कुराता है...
इक नशा सा छा जाता है।
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पतझड मे बहारों का नशा !
ठंडी,तीखी बयारों का नशा!!
चरमराई तन्हा दिवारों का नशा!
घबराई शोक शमाओं का नशा!!
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दर्द जब मुस्कुराता है.....
इक नशा सा छा जाता है।
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मुसीबत मे डूबने का नशा!
खुशामत से ऊबने का नशा!!
पत्थरों से टकराने का नशा!
हवाओं मे घुल जाने का नशा!!
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दर्द जब मुस्कुराता है....
इक नशा सा छा जाता है।

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