मैने देखा है गिरकर उठने वालो को
लडखडा कर चलते हुए शिखर पर चढने वालो को
मैने ये भी देखा है आकाश के तारे जमी पर आ जाते
समय के चक्र मे फँस कर राजा भी रंक बन जाते
यही सोचकर कहता हूँ भाई घमन्ड मत करना
अपनी दौलत सौहरत व काया पे नाज न करना
न जाने कब किसी की बुरी नजर से पाला पड जाये
इतरा कर करते हो नाज तुम जिस पर वो पल मे न खाक हो जाये
ये जागीर ताज व सौहरत मेहमान चन्द दिन के हैं
फिर नाज इन पर है कैसा ये बस गन्दे ख्वाब मन के हैं
हो स्वच्छ मन जीवन सफल इन्सानियत पहचान लो
मुक्ती मिले यश गान हो यदि सत्यता को जान लो
जो भी तुम्हे मिलता यहॉ वो सब यही रह जायेगा
करते घमन्ड जिसके लिये न साथ तेरे जायेगा
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