मुहब्बत की कैसी ये जादूगरी है,
जिधर देखती हूँ खिली चाँदनी है,
तुम्हें मेरे दिल ने खुदा कह दिया है,
तुम्हें चाहना ही मेरी बन्दगी है,
तुम्हारे बिना मन का मौसम है ऐसा,
खिली धूप में भी जरा सी नमी है,
मुहब्बत भरी इक नज़र रख दे कोई,
किसी और दौलत की चाहत नहीं है,
सभी दर्द झूठे हैं औ ग़म ख़ुशी है,
जो तुम साथ हो तो ये दुनिया नयी है,,
जिधर देखती हूँ खिली चाँदनी है,
तुम्हें मेरे दिल ने खुदा कह दिया है,
तुम्हें चाहना ही मेरी बन्दगी है,
तुम्हारे बिना मन का मौसम है ऐसा,
खिली धूप में भी जरा सी नमी है,
मुहब्बत भरी इक नज़र रख दे कोई,
किसी और दौलत की चाहत नहीं है,
सभी दर्द झूठे हैं औ ग़म ख़ुशी है,
जो तुम साथ हो तो ये दुनिया नयी है,,
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