दरके आइनों को नाज़ुकी की जरूरत है
गर आ जाएँ इल्ज़ाम यही तो उल्फत है
फासले वस्ल के यू सायें से बढ़े जाते है
ये कोई मिलना या तुम्हारी रुखसत है
हरसूँ बिखर गए तेरे पन्नें नसीब के
अब तो खाली जिल्द की हसरत है
वक़्त रूठा किसी बच्चे की माफिक
जिसकी जिद है या कोई शरारत है
अब किस और जहान जाएँ'अरमान'
जिस तरफ देखिये बस नफरत है
दरके आइनों को नाज़ुकी की जरूरत है
गर आ जाएँ इल्ज़ाम यही तो उल्फत है
गर आ जाएँ इल्ज़ाम यही तो उल्फत है
फासले वस्ल के यू सायें से बढ़े जाते है
ये कोई मिलना या तुम्हारी रुखसत है
हरसूँ बिखर गए तेरे पन्नें नसीब के
अब तो खाली जिल्द की हसरत है
वक़्त रूठा किसी बच्चे की माफिक
जिसकी जिद है या कोई शरारत है
अब किस और जहान जाएँ'अरमान'
जिस तरफ देखिये बस नफरत है
दरके आइनों को नाज़ुकी की जरूरत है
गर आ जाएँ इल्ज़ाम यही तो उल्फत है
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